भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिकता के प्रेरणास्रोत” श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज जीवन परिचय
Premanand Ji Maharaj का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के अखरी गाँव में एक सात्विक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका सांसारिक नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय था। बचपन से ही उनका झुकाव भक्ति और आध्यात्मिकता की ओर था। वे श्री राम और श्रीकृष्ण के भजनों में लीन रहते थे और छोटी उम्र में ही भक्ति का मार्ग अपना लिया। उनका प्रारंभिक जीवन धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन और संतों की संगति में व्यतीत हुआ।

आध्यात्मिक यात्रा
उनका आध्यात्मिक जीवन श्री हित गौरंगी शरण जी महाराज की शरण में आने के बाद और अधिक प्रगाढ़ हो गया। उन्होंने राधावल्लभ संप्रदाय में दीक्षा ग्रहण की और नित्य विहार रस की साधना करने लगे। उन्होंने वृंदावन में रहकर सहचारी भाव की साधना की और भक्तों को प्रिय-प्रियतम (राधा-कृष्ण) की अनन्य भक्ति की ओर अग्रसर किया।

श्री हित राधा केली कुंज ट्रस्ट
2016 में, उन्होंने श्री हित राधा केली कुंज ट्रस्ट की स्थापना की, जो वृंदावन धाम के तीर्थयात्रियों को आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराता है। यह ट्रस्ट समाज सेवा के विभिन्न कार्यों में संलग्न है, जैसे कि भोजन वितरण, वस्त्र वितरण, चिकित्सा सहायता, और गौसेवा। साथ ही यह ट्रस्ट भक्ति और साधना से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
भक्ति मार्ग और शिक्षाएँ
श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज की शिक्षाएँ सहचारी भाव पर केंद्रित हैं, जो भक्तों को राधा-कृष्ण प्रेम की अंतरंगता में प्रवेश कराती हैं। वे प्रेम और भक्ति के माध्यम से आत्मिक शुद्धि पर जोर देते हैं। उनके प्रवचनों में श्रीमद्भागवत, राधा-कृष्ण लीला, और संकीर्तन का विशेष स्थान होता है।
वे यह मानते हैं कि भक्ति एक साधना है जो न केवल व्यक्ति को ईश्वर के करीब लाती है, बल्कि उसके जीवन को भी शुद्ध और सरल बनाती है। वे भक्तों को जीवन में विनम्रता, सेवा, और निस्वार्थ प्रेम को अपनाने की प्रेरणा देते हैं।
महत्वपूर्ण विचार
- निस्वार्थ प्रेम: प्रेम का वास्तविक स्वरूप निस्वार्थ सेवा और समर्पण में है। भक्ति मार्ग में बिना किसी अपेक्षा के प्रेम करना ही सच्ची साधना है।
- विनम्रता और सेवा: आध्यात्मिक जीवन में अहंकार का स्थान नहीं होता। केवल सेवा भाव से ही व्यक्ति आत्मिक उन्नति प्राप्त कर सकता है।
- सत्संग का महत्व: संतों की संगति में रहकर आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति का विकास होता है। सत्संग से व्यक्ति का मन निर्मल होता है।
- राधा-कृष्ण की भक्ति: राधा-कृष्ण का प्रेम केवल एक कथा नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। उनकी भक्ति से जीव को शाश्वत आनंद की प्राप्ति होती है।
- गौसेवा और पर्यावरण संरक्षण: प्रकृति और प्राणियों की सेवा करना भक्ति का ही एक रूप है। गौसेवा से पुण्य और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
- सतत भजन और साधना: निरंतर भजन और साधना से व्यक्ति की चेतना उच्च स्तर पर पहुँचती है और वह ईश्वर के समीप जाता है।
- साधना में स्थिरता: भक्ति मार्ग में धैर्य और दृढ़ता आवश्यक है। सच्चा भक्त कठिनाइयों में भी अपने साधना मार्ग से विचलित नहीं होता।
संत प्रवचन और सत्संग
श्री महाराज जी देश-विदेश में भक्ति सत्संग और प्रवचन करते हैं, जहाँ हजारों भक्त उनकी मधुर वाणी से आध्यात्मिक शांति और प्रेरणा प्राप्त करते हैं। उनका यूट्यूब चैनल “श्री हित राधा कृपा” पर भी उनके सत्संग वीडियो उपलब्ध हैं, जो भक्तों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
उनके प्रवचन न केवल भक्ति पर आधारित होते हैं, बल्कि जीवन प्रबंधन, आचरण, और समाज सेवा पर भी गहन दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। वे युवाओं को आध्यात्मिकता के महत्व को समझने और एक संतुलित जीवन जीने की शिक्षा देते हैं।
वृंदावन में सेवा और योगदान
श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज वृंदावन में अनेक धार्मिक और सामाजिक सेवाओं में संलग्न हैं। वे वृंदावन में नियमित रूप से भंडारों, धार्मिक आयोजनों और सत्संगों का संचालन करते हैं। उनके द्वारा शुरू किए गए आश्रम और सेवा केंद्र न केवल भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि जरूरतमंदों की सहायता भी करते हैं।
गौसेवा उनकी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है, और उनके द्वारा संचालित गौशालाएँ हजारों गौमाताओं की सेवा कर रही हैं। वे पर्यावरण संरक्षण और आध्यात्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देते हैं, जिससे वृंदावन का महत्व और भी बढ़ जाता है।

निष्कर्ष
श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज आज के समय में भक्ति और प्रेम मार्ग के प्रकाशस्तंभ हैं। उनकी शिक्षाएँ भक्तों को आध्यात्मिक शांति और आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाती हैं। उनका जीवन, उनके प्रवचन और उनकी भक्ति साधना हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
यदि आप प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के प्रवचन सुनना चाहते हैं, तो उनके आधिकारिक यूट्यूब चैनल या वृंदावन स्थित उनके आश्रम में जाकर इस दिव्य अनुभव का लाभ उठा सकते हैं।
उनकी शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि प्रेम और भक्ति का मार्ग ही वास्तविक जीवन की शांति और आनंद का स्रोत है। उनके द्वारा दिखाया गया मार्ग न केवल हमें आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाता है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन लाने की प्रेरणा देता है।
राधे राधे!
दियारा भूमि न्यूज पर आप गुरु प्रेमानन्द जी महाराज के बारे में और भी पढ़ सकते हूँ ।