Bihar Congress News ॥ बिहार की राजनीति में जातीय समीकरणों की अहमियत किसी से छिपी नहीं है। इसी कड़ी में कांग्रेस ने बड़ा दांव चलते हुए कुटुंबा विधायक राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब बिहार में अगले चुनाव की रणनीति बन रही है और कांग्रेस अपने दलित वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश में जुटी है। राजेश कुमार की नियुक्ति को “दलित कार्ड” के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे कांग्रेस ने साफ संकेत दिया है कि वह राज्य में अपनी अलग पहचान बनाने के लिए तैयार है।
Bihar Congress News ।। कौन हैं कुटुम्बा (औरंगाबाद) के विधायक राजेश कुमार ? जानिए उनका राजनीतिक सफर!
राजेश कुमार कोई साधारण नेता नहीं हैं, बल्कि राजनीति उन्हें विरासत में मिली है। उनके पिता दिलकेश्वर राम बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं और चार बार विधायक भी चुने गए थे। राजनीति की यह पृष्ठभूमि राजेश कुमार को एक मजबूत जनाधार वाला नेता बनाती है। 1989 में सेंट कोलंबस कॉलेज, हजारीबाग से स्नातक करने के बाद उन्होंने राजनीतिक सफर शुरू किया।
2010 में पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। हालांकि, 2015 में संतोष मांझी को हराकर जीत दर्ज की और विधायक बने। इसके बाद से वे लगातार अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं।
कुटुम्बा (SC) विधानसभा चुनाव 2020 परिणाम: उम्मीदवारों और वोट प्रतिशत की पूरी सूची
Candidate Name | Party | Votes | Vote Percentage (%) |
---|---|---|---|
RAJESH KUMAR | INC (Indian National Congress) | 50,822 | 36.6% |
SHARWAN BHUIYA | HAMS (Hindustani Awam Morcha) | 34,169 | 24.6% |
LALAN RAM | Independent (IND 3) | 20,433 | 14.7% |
SARUN PASWAN | LJP (Lok Janshakti Party) | 11,800 | 8.5% |
KRISHNA RAM | BSP (Bahujan Samaj Party) | 3,997 | 2.9% |
SATEYENDRA RAM | Independent (IND 5) | 2,863 | 2.1% |
NOTA | None of the Above (NOTA) | 2,586 | 1.9% |
HARIKRISHNA PASWAN | Bahujan Mukti Party | 2,304 | 1.71% |
VIKESH PASWAN | Independent (IND 4) | 2,134 | 1.5% |
RANJEET SAGAR | Independent (IND 2) | 1,796 | 1.3% |
ANIL KUMAR | Jan Adhikar Party (Loktantrik) | 1,682 | 1.2% |
VIKASH KUMAR PASWAN | Bhartiya Sarvodaya Party | 1,289 | 0.91% |
YUGESH RAM | Bharatiya Momin Front | 1,058 | 0.8% |
SHAILESH RAHI | Akhil Hind Forward Bloc (Krantikari) | 1,006 | 0.7% |
NAGENDRA PRASAD | Independent (IND 1) | 886 | 0.6% |
दलित राजनीति में कांग्रेस का नया दांव
कांग्रेस लंबे समय से बिहार में अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि नए चेहरों को मौका देने से जमीनी स्तर पर पकड़ मजबूत होगी। राजेश कुमार की नियुक्ति यह दिखाती है कि कांग्रेस बिहार में दलित राजनीति को केंद्र में लाना चाहती है। लंबे समय से राजद के प्रभाव में रही कांग्रेस अब अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने के संकेत दे रही है। पार्टी के इस फैसले से बिहार में महागठबंधन के समीकरण भी बदल सकते हैं।
अखिलेश प्रसाद सिंह की विदाई और आरजेडी पर असर
अब तक बिहार कांग्रेस की कमान अखिलेश प्रसाद सिंह के पास थी, जो लालू यादव के करीबी माने जाते हैं। उनकी विदाई के साथ यह साफ हो गया है कि कांग्रेस अब अपनी अलग सियासी राह पर आगे बढ़ना चाहती है। लोकसभा चुनावों के दौरान अखिलेश प्रसाद सिंह की रणनीतियों की काफी आलोचना हुई थी, खासकर उनके बेटे को टिकट दिलाने को लेकर।
बिहार में सीट शेयरिंग पर क्या होगा असर?
राजेश कुमार की नियुक्ति से बिहार में महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। कांग्रेस अब आरजेडी के सामने ज्यादा सीटों की मांग कर सकती है और दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश करेगी।
क्या कांग्रेस को मिलेगा फायदा?
राजेश कुमार की नियुक्ति से कांग्रेस को बिहार में दलित समुदाय के बीच मजबूती मिल सकती है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपनी नई भूमिका में कितना सफल होते हैं और पार्टी को कितना फायदा पहुंचा पाते हैं।
बिहार की राजनीति में इस बदलाव के बाद अब अगले कुछ महीनों में और भी बड़े उलटफेर देखने को मिल सकते हैं। देखना होगा कि कांग्रेस का यह “दलित कार्ड” कितना असर दिखा पाता है! – दियारा भूमी न्यूज