वक्फ संशोधन विधेयक 2025 (Waqf Amendment Bill 2025) भारत में धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता को लेकर एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद मुद्दा बन गया है। 2 अप्रैल 2025 को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने इसे लोकसभा (Lok Sabha) में पेश किया, जिसके बाद इस पर तीखी बहस और मतदान (Waqf Bill Voting) हुआ। गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने भी इस विधेयक का समर्थन करते हुए इसे पारदर्शिता और सुधार का कदम बताया।
वक्फ क्या है? (What is Waqf?)
वक्फ इस्लामिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को धर्मार्थ कार्यों, जैसे मस्जिदों, मदरसों, या गरीबों की सहायता के लिए दान करता है। भारत में वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों का प्रबंधन करता है। देश में 8.7 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियां हैं, जो 9.4 लाख एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैली हैं। हालांकि, इन संपत्तियों के दुरुपयोग, अतिक्रमण और पारदर्शिता की कमी की शिकायतें दशकों से बनी हुई हैं।
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 क्या है?
वक्फ संशोधन विधेयक 2025, वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन का प्रस्ताव करता है। इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना, डिजिटल रिकॉर्ड बनाना और अतिक्रमण को रोकना है। किरेन रिजिजू ने इसे पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता, बल्कि प्रबंधन को बेहतर करने के लिए है।
प्रमुख प्रावधान (Waqf amendment bill 2025):
- सेक्शन 40 का हटाना: पहले वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकता था, जिसे अब जिला कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र में दिया गया है।
- गैर-मुस्लिम और महिला सदस्य: वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिलाओं को शामिल करने का प्रस्ताव।
- डिजिटल रिकॉर्ड: सभी वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण।
- केंद्र सरकार की भूमिका: केंद्रीय वक्फ परिषद में तीन सांसदों (दो लोकसभा और एक राज्यसभा से) की नियुक्ति, बिना यह अनिवार्य किए कि वे मुस्लिम हों।
- वक्फ संपत्तियों की निगरानी: राज्य सरकारें वक्फ संपत्तियों की निगरानी कर सकेंगी और उनकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को दे सकेंगी।
- विवाद समाधान: वक्फ विवादों को निपटाने के लिए एक स्वतंत्र ट्रिब्यूनल का गठन।
लोकसभा में नवीनतम स्थिति:
2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर 8 घंटे की बहस हुई, जिसे रात 10 बजे तक बढ़ाया गया। किरेन रिजिजू ने इसे पेश किया, जबकि विपक्ष ने इसे असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी करार दिया।
मतदान की स्थिति: 3 अप्रैल 2025 की सुबह 1:17 बजे तक मतदान प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी। एनडीए के पास लोकसभा में 293 सांसद हैं, जो बहुमत से अधिक है। टीडीपी, जेडीयू और शिवसेना ने इसका समर्थन किया। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि बिल पारित हुआ या नहीं।
जेपीसी की भूमिका: संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने विधेयक की समीक्षा की। समिति ने 284 प्रतिनिधिमंडलों से सुझाव लिए, लेकिन विपक्ष ने आरोप लगाया कि उनके संशोधनों को नजरअंदाज किया गया।
विपक्ष और मुस्लिम संगठनों की आपत्ति:
- कांग्रेस, सपा, डीएमके और टीएमसी सहित विपक्षी दलों ने इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताया।
- AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे असंवैधानिक बताते हुए विरोध किया।
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इसे धार्मिक स्वायत्तता में दखल बताया और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।
- विभिन्न राज्यों के वक्फ बोर्डों ने इसे केंद्र सरकार के अत्यधिक हस्तक्षेप के रूप में देखा और इसके खिलाफ आवाज उठाई।
सरकार का पक्ष:
- अमित शाह ने कहा, “विपक्ष वोटबैंक के लिए भय फैला रहा है। यह बिल मुस्लिम संपत्ति नहीं छीनता।”
- रिजिजू ने दावा किया कि पहले की सरकारों ने संसद की जमीन तक वक्फ को दे दी होती, अगर बीजेपी सत्ता में न होती।
- सरकार का दावा है कि यह विधेयक भ्रष्टाचार और अपारदर्शिता को रोकने के लिए जरूरी है।
तेजस्वी यादव का बयान:
- बिहार के नेता प्रतिपक्ष और राजद प्रमुख तेजस्वी यादव ने इस विधेयक की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “यह विधेयक भाजपा सरकार की एक और साजिश है, जिससे अल्पसंख्यकों की संपत्तियों को छीनकर पूंजीपतियों को सौंपा जा सके। बिहार और देश का हर न्यायप्रिय नागरिक इसका विरोध करेगा।”
- तेजस्वी ने आरोप लगाया कि सरकार इस बिल के जरिए अल्पसंख्यकों को और अधिक हाशिए पर धकेलना चाहती है। उन्होंने मांग की कि इसे वापस लिया जाए और मुस्लिम समुदाय के साथ परामर्श करके नया विधेयक लाया जाए।
वक्फ बिल पर विवाद और संभावित प्रभाव:
- बिहार और यूपी पर असर: बिहार में 6 महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं, और यह बिल वहां राजनीतिक ध्रुवीकरण को प्रभावित कर सकता है।
- कानूनी चुनौती: अगर बिल पारित होता है, तो विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
- राजनीतिक प्रतिक्रिया: कुछ राज्य सरकारों ने इस विधेयक को राज्यों के अधिकारों पर हस्तक्षेप बताया है।
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: कुछ इस्लामिक संगठनों और विदेशी संस्थाओं ने भी इस विधेयक को लेकर चिंता जताई है।
भविष्य की संभावनाएं:
- यदि यह बिल पारित होता है, तो यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
- राज्यसभा में इसकी राह आसान नहीं होगी, क्योंकि एनडीए को सहयोगियों का समर्थन जुटाना होगा।
- विपक्ष इसे खारिज करने की पूरी कोशिश कर रहा है और इस मुद्दे को 2025 के चुनावों में उठा सकता है।
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 धर्म, कानून और राजनीति के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है। लोकसभा में इसकी कार्यवाही और मतदान के परिणाम पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं। यह बिल पारित होगा या अस्वीकार कर दिया जाएगा, यह आने वाले समय में तय होगा।