Ramadan Iftar party । पटना, 22 मार्च 2025: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का सात प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। यह फैसला इमारत-ए-शरिया, जमात इस्लामी, जमात अहले हदीस, खान्काह मोजीबिया, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमियत उलेमा-ए-हिंद, और खान्काह रहमानी ने संयुक्त रूप से लिया है। इन संगठनों का आरोप है कि नीतीश कुमार ने वक्फ संशोधन बिल 2024 का समर्थन कर मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ काम किया है। इस निर्णय को मुस्लिम समुदाय की नाराजगी और सियासी असंतोष का स्पष्ट संकेत माना जा रहा है।
Ramadan Iftar party । इफ्तार पार्टी के बहिष्कार की मुख्य वजहें
इमारत-ए-शरिया, पटना द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि नीतीश कुमार की नीतियां मुस्लिम समुदाय के हितों के प्रतिकूल रही हैं।
“पिछले दिनों नीतीश कुमार ने वक्फ संशोधन बिल 2024 का समर्थन किया, जिसे मुस्लिम समुदाय के लिए नुकसानदेह माना जा रहा है। इसके अलावा, उन्होंने सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) और तीन तलाक बिल जैसे विवादास्पद कानूनों का भी समर्थन किया।”
संगठनों का मानना है कि नीतीश कुमार की नीति “मुंह में राम, बगल में छुरी” जैसी है, जो समुदाय को गुमराह करने वाली है।
इमारत-ए-शरिया के कार्यालय सचिव मौलाना शफी ने कहा,
“नीतीश कुमार ने कभी भी मुस्लिम समुदाय के प्रति सियासी भरोसेमंदी नहीं दिखाई। वक्फ बिल के खिलाफ तीन अलग-अलग डेलिगेशन उनसे मिले, लेकिन उन्होंने कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया कि वे इस बिल का विरोध करेंगे। ऐसे में उनकी इफ्तार पार्टी में शामिल होना मुस्लिम समुदाय के हितों के विरुद्ध होगा।”
वक्फ संशोधन बिल और मुस्लिम समुदाय की नाराजगी
वक्फ संशोधन बिल 2024 को लेकर मुस्लिम समुदाय में गहरा असंतोष है। मुस्लिम संगठनों का मानना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों को कमजोर करेगा और मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता पर खतरा पैदा करेगा।
इसके अलावा, नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने सीएए और तीन तलाक बिल पर भी बीजेपी का समर्थन किया, जिसे मुस्लिम समुदाय अपने अधिकारों के खिलाफ मानता है।
मुस्लिम संगठनों का सख्त रुख: नीतीश समर्थक नेताओं का भी होगा बहिष्कार?
सात मुस्लिम संगठनों ने सिर्फ नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का ही नहीं, बल्कि उन मुस्लिम नेताओं और बोर्डों के चेयरमैनों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की है, जो नीतीश कुमार की नीतियों के समर्थक हैं।
“जो लोग नीतीश कुमार की वफादारी में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ खड़े हैं, उन्हें भी बहिष्कृत किया जाना चाहिए।”
बिहार की राजनीति पर संभावित असर
इस बॉयकॉट का असर बिहार की राजनीति पर गहरा हो सकता है। मुस्लिम वोटर बिहार की कई विधानसभा और लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ऐसे में, यह विरोध आगामी चुनावों में नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
निष्कर्ष
नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी के बहिष्कार का यह फैसला बिहार में मुस्लिम समुदाय की नाराजगी को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। वक्फ संशोधन बिल, सीएए, और तीन तलाक जैसे मुद्दों पर उनकी नीतियां समुदाय के बीच असंतोष को बढ़ा रही हैं।
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