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BIHAR POLITICS । । कन्हैया कुमार की बिहार वापसी: कांग्रेस और गठबंधन की राजनीति पर असर की पूरी समीक्षा

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BIHAR POLITICS। । कन्हैया कुमार, एक चर्चित युवा नेता और कांग्रेस के उभरते चेहरे, ने बिहार की सियासी जमीन पर कदम रखते ही हलचल मचा दी है। ‘नौकरी दो, पलायन रोको’ यात्रा की शुरुआत के साथ ही उन्होंने कांग्रेस को नई ऊर्जा दी है और महागठबंधन (INDIA गठबंधन) के समीकरणों पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। इस लेख में हम विश्लेषण करेंगे कि कन्हैया कुमार की बिहार वापसी से राज्य की राजनीति और गठबंधन पर क्या असर पड़ सकता है।

BIHAR POLITICS । । बिहार में कन्हैया की एंट्री: नया सियासी मोड़

  • 16 मार्च 2025 को कन्हैया कुमार ने पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम से अपनी पदयात्रा शुरू की।
  • यात्रा का मुख्य फोकस रोजगार, शिक्षा और पलायन जैसे ज्वलंत मुद्दों पर है।
  • 2021 में CPI छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए कन्हैया अब पार्टी का युवा चेहरा बन चुके हैं।
  • राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस बिहार में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही है।
  • बेगूसराय से ताल्लुक रखने वाले कन्हैया की वाकपटुता और स्पष्ट विचारधारा उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाती है।

बिहार की राजनीति पर प्रभाव

1. कांग्रेस को नई मजबूती

  • कन्हैया की यात्रा से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ा है।
  • 2020 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं, लेकिन वह सिर्फ 19 पर जीत दर्ज कर सकी
  • अब पार्टी युवाओं और ग्रामीण वोटरों को जोड़ने की कोशिश कर रही है।

2. RJD और तेजस्वी यादव पर दबाव

  • महागठबंधन का सबसे बड़ा दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) कन्हैया की एंट्री से असहज है।
  • तेजस्वी यादव भी रोजगार और पलायन जैसे मुद्दों को उठाते रहे हैं, लेकिन कन्हैया की आक्रामक शैली और युवा अपील RJD के MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण को चुनौती दे सकती है।

3. BJP-JDU के लिए नई चुनौती

  • कन्हैया की यात्रा और उनके मुद्दे BJP और JDU के लिए भी नई परेशानी खड़ी कर सकते हैं।
  • बेरोजगारी और पलायन पर उनका फोकस नीतीश सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े कर रहा है।
  • अगर कांग्रेस मजबूत होती है, तो NDA के वोट बैंक पर असर पड़ सकता है

गठबंधन पर प्रभाव: दरार या मजबूती?

महागठबंधन में तनाव

  • RJD की नाराजगी: तेजस्वी यादव ने पहले ही कहा था कि INDIA गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक सीमित था
  • सीट बंटवारे पर असर: 2025 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ज्यादा सीटों की मांग कर सकती है, जिससे गठबंधन में तनाव बढ़ सकता है।
  • पप्पू यादव जैसे नेता खुले तौर पर कह रहे हैं कि कांग्रेस इस बार मजबूती से लड़ेगी

कांग्रेस की आत्मनिर्भरता

  • कन्हैया की सक्रियता के कारण कांग्रेस अब RJD की बैसाखी छोड़ने की कोशिश कर रही है।
  • हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष बदला गया और नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरु पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में जुटे हैं।
  • सवाल यह है कि क्या इससे कांग्रेस गठबंधन को मजबूत करेगी या कमजोर?

क्या कहते हैं आंकड़े और विशेषज्ञ?

पिछला प्रदर्शन

  • 2015 में कांग्रेस ने महागठबंधन में रहते हुए 27 सीटें जीतीं
  • 2020 में यह संख्या घटकर 19 रह गई

भविष्य की संभावनाएं

सकारात्मक परिदृश्य

  • अगर कन्हैया की यात्रा युवाओं और ग्रामीण मतदाताओं को जोड़ पाती है, तो कांग्रेस 2025 में 30-40 सीटें जीत सकती है
  • इससे गठबंधन में कांग्रेस की सौदेबाजी की ताकत बढ़ेगी।

नकारात्मक परिदृश्य

  • अगर RJD और कांग्रेस के बीच तनाव बढ़ा, तो महागठबंधन कमजोर हो सकता है।
  • इसका सबसे बड़ा फायदा BJP-JDU को मिलेगा

निष्कर्ष

कन्हैया कुमार की बिहार वापसी से राजनीति में नई हलचल आई है। कांग्रेस को इससे मजबूती मिल रही है, लेकिन अगर RJD के साथ तालमेल बिगड़ता है, तो इसका उल्टा असर भी हो सकता है

बिहार की राजनीति में यह नया समीकरण क्या रंग लाएगा, यह कन्हैया की यात्रा के नतीजों और गठबंधन की एकजुटता पर निर्भर करेगा।

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